इजरायल-हमास संघर्ष से फर्टिलाइजर इंडस्ट्री पर असर पड़ने की संभावनाः क्रिसिल

पिछले एक महीने से जारी इजरायल-हमास संघर्ष की वजह से कुछ क्षेत्रों, खासकर फर्टिलाइजर क्षेत्र पर प्रभाव पड़ सकता है। घरेलू क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपने एक नोट में यह अनुमान जताया है। क्रिसिल ने कहा है कि व्यापक आधार पर देखें तो पश्चिम एशिया के संघर्ष ने अब तक भारत के व्यापार पर नगण्य प्रभाव डाला है। फर्टिलाइजर और हीरा जैसे कुछ क्षेत्रों पर जरूर मामूली प्रभाव पड़ा है, जबकि अन्य क्षेत्रों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा।

इजरायल-हमास संघर्ष से फर्टिलाइजर इंडस्ट्री पर असर पड़ने की संभावनाः क्रिसिल

पिछले एक महीने से जारी इजरायल-हमास संघर्ष की वजह से कुछ क्षेत्रों, खासकर फर्टिलाइजर क्षेत्र पर प्रभाव पड़ सकता है। घरेलू क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपने एक नोट में यह अनुमान जताया है। क्रिसिल ने कहा है कि व्यापक आधार पर देखें तो पश्चिम एशिया के संघर्ष ने अब तक भारत के व्यापार पर नगण्य प्रभाव डाला है। फर्टिलाइजर और हीरा जैसे कुछ क्षेत्रों पर जरूर मामूली प्रभाव पड़ा है, जबकि अन्य क्षेत्रों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा।

हालांकि, क्रिसिल ने कहा है कि 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के आश्चर्यजनक हमलों के बाद शुरू हुए संघर्ष ने सोने और कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ा दिया है। इन पर नजर रखने की जरूरत है। कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भारत जैसे देश के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत कच्चे तेल के लिए आयात पर निर्भर है और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का कई अन्य क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।

क्रिसिल के मुताबिक, इजरायल के साथ भारत का व्यापार अपेक्षाकृत कम है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का इजरायल को निर्यात केवल 1.9 फीसदी और आयात 0.3 फीसदी रहा है।  निर्यात में मुख्य रूप से परिष्कृत हाइड्रोकार्बन सहित पॉलिश किए गए हीरे और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं, जबकि आयात में बड़े पैमाने पर औद्योगिक उपकरण,  फर्टिलाइजर, कच्चे हीरे और कीमती पत्थर शामिल हैं।

घरेलू हीरा पॉलिश करने वालों के लिए इजरायल मुख्य रूप से एक व्यापारिक केंद्र है। पिछले वित्त वर्ष में देश से हुए हीरे के कुल निर्यात में इजरायल को 5 फीसदी निर्यात हुआ था।  इसके अलावा, आयातित कच्चे हीरे 2 फीसदी इजरायल से आयात होता है। नोट में कहा गया है कि जहां तक उर्वरकों की बात है कि इजरायल म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) का एक प्रमुख वैश्विक उत्पादक है और उन शीर्ष तीन देशों में से एक है जहां से भारत एमओपी का आयात करता है। पिछले वित्त वर्ष में कुल एमओपी आयात का एक चौथाई आयात इजरायल से हुआ था। घरेलू उर्वरक खपत में एमओपी की हिस्सेदारी (अंतिम उत्पाद के रूप में या अन्य उर्वरकों में एक घटक के रूप में) 10 फीसदी से भी कम है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि संघर्ष शुरू होने के बाद से सोने की कीमतों में 13-15 फीसदी की वृद्धि हुई है और यह 60 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम से अधिक हो गई है। क्रिसिल ने चेतावनी दी है कि आगे और तेज बढ़ोतरी से रिटेल ज्वैलर्स के ग्रोथ पर असर पड़ेगा।

नोट के मुताबिक, हालांकि भारत पर इसका समग्र प्रभाव अभी कम है, लेकिन संघर्ष बढ़ने पर प्रमुख बंदरगाहों के परिचालन में बाधा आ सकती है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वह घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रही है और कर्ज गुणवत्ता पर असर का आकलन करेगी।

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