इस बार उपभोक्ताओं को नहीं रुलाएगा प्याज, सरकार कर रही है बफर स्टॉक का इस्तेमाल

भारत सरकार लगातार कृषि वस्तु की लगातार निगरानी कर रही है और खेती से जुड़े नीतिगत निर्णय ले रही है जिससे इस बार प्याज और दालों की कीमतों में स्थिरता आई है। केंद्र आयातकों, अनुसंधान एजेंसियों और व्यापार संघ के साथ लगातार बातचीत के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, आयात, निर्यात और उपलब्धता पर कड़ी नजर रख रही है

इस बार उपभोक्ताओं को नहीं रुलाएगा प्याज, सरकार कर रही है बफर स्टॉक का इस्तेमाल

भारतीय राजनेताओं के लिए प्याज सबसे सिरदर्द वाली सब्जी है। इसे अतीत में कई सरकारों को गिराने का श्रेय भी जाता है। सर्वप्रथम 1980 में प्याज की आसमान छूती कीमतों ने आजादी के बाद पहली गैर-कांग्रेसी सरकार के पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस साल के आम चुनावों को इंदिरा गांधी ने "प्याज चुनाव" करार दिया था। लेकिन एक साल के भीतर जब प्याज कीमतें बढ़ीं तो उसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी रुला दिया था ।
शायद उस तस्वीर को ध्यान में रख कर ही भारत सरकार लगातार प्याज की स्थिति की निगरानी कर रही है और इससे जुड़े नीतिगत निर्णय ले रही है। इससे इस बार प्याज और दाल की कीमतों में स्थिरता आई है।
उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह के अनुसार, आयातकों, रिसर्च एजेंसियों और व्यापार संघों के साथ लगातार बातचीत के माध्यम से केंद्र आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, आयात, निर्यात और उसकी  उपलब्धता पर कड़ी नजर रख रहा  है। प्याज की कीमतों में अचानक आई तेजी को रोकने के लिए, सहकारी संस्था नेफेड ने पिछले तीन हफ्तों में सरकार के द्वारा किए भंडारण  से  पूरे भारत में 20 हजार टन प्याज बाजार में उतारे हैं। वर्तमान में प्याज दिल्ली, पटना, लखनऊ, चंडीगढ़, चेन्नई और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों में उचित मार्केट रेट पर बेचा जा रहा  है।
नेफेड पिछले कुछ वर्षों से मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत सरकार की तरफ से प्याज का बफर स्टॉक बना रहा है। 2022-23 के लिए नेफेड ने अगस्त से दिसंबर तक प्याज की कीमतों में संभावित तेजी से निपटने के लिए 2.50 लाख टन का रिकॉर्ड प्याज भंडार किया है।
नेफेड ने सितंबर के मध्य में बफर प्याज का निपटान शुरू किया और अब तक 20 हजार टन बाजार में उतार चुका है। अप्रैल और मई में खरीदे गए प्याज को "गोइंग मार्केट रेट" पर बेचा जा रहा है। बफर से स्टॉक दिसंबर तक लक्ष्य के अनुसार धीरे-धीरे जारी किया जाएगा।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस महीने प्याज की औसत खुदरा कीमत पूर्वोत्तर क्षेत्र में 40 रुपये प्रति किलोग्राम के उच्च स्तर पर चल रही है, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह 23-25 ​​रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में है।
रबी 2022 की कटाई अवधि के दौरान 2.50 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक सुनिश्चित करके केंद्र सरकार कम आवक के मौसम में भी प्याज की खुदरा कीमतों को स्थिर रखना चाहती है।
प्याज की मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए बफर स्टॉक से प्याज की निकासी शुरू की गई है और राष्ट्रीय प्याज बफर स्टॉक से 14 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न बाजारों में 54 हजार टन प्याज जारी किया गया है।
इसके परिणामस्वरूप पूरे साल प्याज की कीमतें स्थिर रही हैं। इसके अलावा, प्याज की खुदरा कीमतों को स्थिर रखने के लिए, भारत सरकार ने सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों और मदर डेयरी, सफल, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार को केंद्रीय बफर स्टॉक से 800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्याज उठाने की पेशकश की है।
सरकार ने किसानों/किसान संघों से फार्मगेट/मंडी में सीधी खरीद को बढ़ावा देते हुए उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए दाल, प्याज और आलू जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए पीएसएफ की स्थापना की है।
पीएसएफ के तहत प्याज और दालों का बफर स्टॉक कम आवक के समय कीमतों को नियंत्रित रखने के उद्देश्य से किया जाता है। यह हस्तक्षेप उपभोक्ता हितों की रक्षा करने के साथ बाजार को उचित संकेत भेजने और सट्टा और जमाखोरी गतिविधियों को  कंट्रोल करने में भी मदद करता है।
(शुभाशीष मित्रा नई दिल्ली स्थित वरिष्ठ पत्रकार, फ्रीलांस लेखक और पब्लिक पॉलिसी विश्लेषक हैं)

Subscribe here to get interesting stuff and updates!