कोऑपरेटिव बैंकों के लिए होम लोन देने की सीमा बढ़ी, पर कॉमर्शियल रियल एस्टेट को कर्ज की अनुमति से हो सकता है जोखिम

ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए सीमा ढाई गुना की गई है। जिन कोऑपरेटिव बैंकों की नेटवर्थ 100 करोड़ रुपए से कम है उनके लिए व्यक्तिगत होम लोन की सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दी गई है। अन्य ग्रामीण सहकारी कोऑपरेटिव बैंकों के लिए यह सीमा 75 लाख रुपए की गई है जो अभी तक 30 लाख रुपए थी

कोऑपरेटिव बैंकों के लिए होम लोन देने की सीमा बढ़ी, पर कॉमर्शियल रियल एस्टेट को कर्ज की अनुमति से हो सकता है जोखिम

भारतीय रिजर्व बैंक ने कोऑपरेटिव बैंकों के लिए कर्ज देने का दायरा बढ़ा दिया है। बैंकिंग रेगुलेटर ने हाउसिंग लोन के लिए कोऑपरेटिव बैंकों की तरफ से दी जाने वाली सीमा दोगुनी कर दी है। साथ ही उन्हें कॉमर्शियल रियल एस्टेट के लिए भी कर्ज देने की अनुमति दी है। विशेषज्ञ इसे जोखिम भरा मान रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे समय जब बड़े बैंक कॉमर्शियल रियल एस्टेट में पैसा लगाने से बच रहे हैं, कोऑपरेटिव बैंकों को ऐसे प्रोजेक्ट में पैसा लगाना उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है।

बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा, घरों की कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए कोऑपरेटिव बैंकों की तरफ से दिए जाने वाले होम लोन की सीमा बढ़ाने का फैसला किया गया है। अब टियर 1 अर्बन कोऑपरेटिव बैंक जिनका डिपॉजिट आधार 100 करोड़ रुपए तक है, वे 60 लाख रुपए तक का व्यक्तिगत होम लोन दे सकते हैं। पहले यह सीमा 30 लाख रुपए थी। टियर 2 अर्बन कोऑपरेटिव बैंक जिनका डिपॉजिट आधार 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है, उनके लिए यह सीमा 70 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.4 करोड़ रुपए कर दी गई है।

ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए सीमा ढाई गुना की गई है। जिन कोऑपरेटिव बैंकों की नेटवर्थ 100 करोड़ रुपए से कम है उनके लिए व्यक्तिगत होम लोन की सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दी गई है। अन्य ग्रामीण सहकारी कोऑपरेटिव बैंकों के लिए यह सीमा 75 लाख रुपए की गई है जो अभी तक 30 लाख रुपए थी। इससे पहले कॉपरेटिव बैंकों के लिए होम लोन की सीमा 2009 में संशोधन किया गया था।

रिजर्व बैंक का कहना है कि अफोर्डेबल हाउसिंग यानी सस्ते घरों की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए उसने राज्य कोऑपरेटिव बैंकों और जिला कोऑपरेटिव बैंकों को कॉमर्शियल रियल एस्टेट- रेजिडेंशियल हाउसिंग के लिए कर्ज देने की अनुमति दी है। हालांकि यह उनके कुल ऐसेट के 5 फ़ीसदी तक ही हो सकता है।

नाबार्ड के एक पूर्व चेयरमैन ने रूरल वॉयस से बातचीत में कहा कि होम लोन की सीमा बढ़ाने की मांग काफी दिनों से की जा रही थी। इसे बढ़ाना अच्छा कदम है क्योंकि जो पुरानी सीमा थी उसकी तुलना में घरों के दाम आज काफी बढ़ गए हैं। लेकिन कॉमर्शियल रियल एस्टेट के लिए कोऑपरेटिव बैंको को कर्ज की अनुमति देने के फैसले पर उन्होंने कहा कि इनमें पैसा लगाने से बड़े बैंक हिचक रहे हैं, क्योंकि उन्हें इसमें जोखिम लगता है। ऐसे में को-ऑपरेटिव बैंकों को जोखिम वाले क्षेत्र में जाने की अनुमति देना ठीक नहीं है।

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