गारंटी का हाल, एमपी-राजस्थान में किसानों को 2700 की बजाय 2400 रुपये मिलेगा गेहूं का भाव

मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को गेहूं की खरीद पर 2275 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अलावा 125 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने का ऐलान किया है। इस साल राज्य में गेहूं की सरकारी खरीद पर किसानों को 2400 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलेगा। जबकि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने किसानों को गेहूं का एमएसपी 2700 रुपये करने का वादा किया था। 

गारंटी का हाल, एमपी-राजस्थान में किसानों को 2700 की बजाय 2400 रुपये मिलेगा गेहूं का भाव

मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को गेहूं की खरीद पर 2275 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अलावा 125 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने का ऐलान किया है। इस साल राज्य में गेहूं की सरकारी खरीद पर किसानों को 2400 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलेगा। जबकि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने किसानों को गेहूं का एमएसपी 2700 रुपये करने का वादा किया था। 

मध्य प्रदेश से पहले राजस्थान की भाजपा सरकार भी गेहूं पर 125 रुपये बोनस देने का ऐलान कर चुकी है। सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में गेहूं की खरीद पर प्रति क्विंटल 125 रुपये बोनस के तौर पर देने का निर्णय लिया गया। कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि गेहूं पर 125 रुपये का अतिरिक्त बोनस देने से इस साल करीब 3850 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।  

विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपने संकल्प-पत्र में गेहूं का एमएसपी बढ़ाकर 2700 रुपये और धान का एमएसपी 3100 रुपये प्रति क्विंटल करने का वादा किया था। एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर हरियाणा-पंजाब के किसान आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में सभी की निगाहें भाजपा शासित राजस्थान और हरियाणा पर थीं। लेकिन राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार भी चुनावी गारंटी से मुकर गई है। किसानों को वादे के मुताबिक गेहूं का भाव 2700 रुपये प्रति कुंतल देने के लिए प्रति कुंतल 425 रुपये का बोनस देना पड़ता। इसकी बजाय सिर्फ 125 रुपये बोनस दिया गया है।  

मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं खरीद के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन चुनावी वादे के मुताबिक गेहूं का रेट 2700 रुपये नहीं मिलने से किसानों में नाराजगी है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही ने रूरल वॉयस को बताया कि पूरे चुनाव में भाजपा ने गेहूं का भाव 2700 रुपये देने का खूब प्रचार किया था। जबकि असल में 300 रुपये कम भाव दिया है। इससे किसानों को प्रति एकड़ करीब 6 हजार रुपये का नुकसान होगा। साल भर में जो किसान सम्मान निधि सरकार दे रही है, उतना भाव का नुकसान तो एक एकड़ में हो रहा है।  

मध्य प्रदेश के खुले बाजारों में गेहूं की कीमतें 2,700 रुपये से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं। अगर सरकार बोनस नहीं देगी तो गेहूं खरीद लक्ष्य से कम होने की आशंका हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान की भाजपा सरकारों द्वारा गेहूं की सरकारी खरीद पर 125 रुपये प्रति क्विटंल का बोनस देने से भाजपा की हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार पर भी दबाव बनेगा। लोक सभा चुूनावों के साल में अगर एक ही पार्टी की सरकार दो राज्यों में बोनस देगी और उनसे सटे दो राज्यों में बोनस नहीं देगी तो यह राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। आंदोलनरत किसानों के लिए यह  एक नया मुद्दा हाथ में आ जाएगा और इसका असर पंजाब पर भी पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गेहूुं उत्पादक राज्य है लेकिन सरकारी खऱीद में यह पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से पीछे रहता है।

Subscribe here to get interesting stuff and updates!