Monsoon forecast: अल-नीनो के बावजूद मौसम विभाग ने इस साल सामान्य बारिश का जताया अनुमान

भारतीय मौसम विभाग ने अपने ताजा पूर्वानुमान में कहा है कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितंबर) के दौरान 96 फीसदी बारिश होने की संभावना है। इस दौरान लगभग 87 सेमी बारिश होने की संभावना है। सामान्य से अधिक बारिश होने की 67 फीसदी संभावना है।

Monsoon forecast: अल-नीनो के बावजूद मौसम विभाग ने इस साल सामान्य बारिश का जताया अनुमान
प्रतीकात्मक फोटो

अल-नीनो के बावजूद इस साल मानसून में सामान्य बारिश होने की संभावना मौसम विभाग ने जताई है। भारतीय मौसम विभाग ने अपने ताजा पूर्वानुमान में कहा है कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितंबर) के दौरान 96 फीसदी बारिश होने की संभावना है। यह कृषि क्षेत्र के लिए राहत की बात है। इससे जहां किसानों को राहत मिलेगी वहीं अनाजों की पैदावार भी अच्छी रहेगी। भारतीय कृषि काफी हद तक मानसून की बारिश पर निर्भर है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने मंगलवार को नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर तक) के दौरान सामान्य बारिश देखने को मिलेगी। इस दौरान लगभग 87 सेमी बारिश होने की संभावना है।" आईएमडी के मौसम विज्ञान महानिदेशक एम महापात्रा ने कहा कि सामान्य से अधिक बारिश होने की 67 फीसदी संभावना है। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2022 से मार्च 2023 तक उत्तरी गोलार्ध और यूरेशिया के ऊपर बर्फ से ढका क्षेत्र सामान्य से नीचे था। उत्तरी गोलार्द्ध पर कम बर्फ का आवरण भारत के दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश के लिए अनुकूल माना जाता है।

महापात्रा ने कहा, "मानसून के दौरान अल नीनो की स्थिति के कारण यदि कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, तो सकारात्मक आईओडी (Indian Ocean Dipole) और उत्तरी गोलार्ध में कम बर्फ के आवरण से अनुकूल प्रभाव पड़ने और अल नीनो से मुकाबला करने की संभावना होती है।" उन्होंने कहा कि अल नीनो की स्थिति मानसून के दौरान विकसित होने की संभावना है और इसका असर दूसरी छमाही में महसूस किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सभी अल नीनो वर्ष खराब मानसून वाले वर्ष नहीं होते हैं। अतीत (1951-2022) में अल नीनो के 40 फीसदी वर्षों में मानसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश हुई थी।

2019 से लगातार चार वर्षों तक भारत में मानसून के दौरान सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है। महापात्रा ने कहा, “दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत, पश्चिम-मध्य और पूर्वोत्तर क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। जबकि प्रायद्वीपीय क्षेत्र के कई हिस्सों, पूर्व-मध्य, पूर्व, पूर्वोत्तर क्षेत्रों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य बारिश होने की संभावना है।”

आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में मानसून के मौसम में 971.8 मिमी, 2020 में 961.4 मिमी, 2021 में 874.5 मिमी और 2022 में 924.8 मिमी बारिश हुई। देश में 2018 के मानसून में 804.1 मिमी, 2017 में 845.9 मिमी, 2016 में 864.4 मिमी और 2015 में 765.8 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी।

वर्षा आधारित खेती भारत के कृषि परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण घटक है। कृषि क्षेत्र का 52 फीसदी हिस्सा इसी पर निर्भर है। यह देश के कुल खाद्य उत्पादन का लगभग 40 फीसदी है जो भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

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