हरियाणा के गन्ना किसानों को मिलेगी ज्यादा कीमत, 386 रुपये प्रति क्विंटल हुआ मूल्य, अगले साल के लिए दाम 400 रुपये तय

हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने गन्ना किसानों को त्योहारी तोहफा देते हुए चालू पेराई सत्र (2023-24) और अगले पेराई सत्र (2024-25) के लिए गन्ने के दाम तय कर दिए हैं। चालू पेराई सत्र के लिए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 14 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 386 रुपये प्रति क्विंटल करने की सरकार ने घोषणा की है। इस बढ़ोतरी के बाद हरियाणा किसानों को गन्ने का सबसे ज्यादा मूल्य देने वाला राज्य बन गया है। इससे पहले पंजाब में सबसे ज्यादा 380 रुपये प्रति क्विंटल पर गन्ने की खरीद हो रही थी।  

हरियाणा के गन्ना किसानों को मिलेगी ज्यादा कीमत, 386 रुपये प्रति क्विंटल हुआ मूल्य, अगले साल के लिए दाम 400 रुपये तय

हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने गन्ना किसानों को त्योहारी तोहफा देते हुए चालू पेराई सत्र (2023-24) और अगले पेराई सत्र (2024-25) के लिए गन्ने के दाम तय कर दिए हैं। चालू पेराई सत्र के लिए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 14 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 386 रुपये प्रति क्विंटल करने की सरकार ने घोषणा की है। इस बढ़ोतरी के बाद हरियाणा किसानों को गन्ने का सबसे ज्यादा मूल्य देने वाला राज्य बन गया है। इससे पहले पंजाब में सबसे ज्यादा 380 रुपये प्रति क्विंटल पर गन्ने की खरीद हो रही थी।  

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अगले पेराई सत्र के लिए भी गन्ने का मूल्य बढ़ाने की घोषणा अभी ही कर दी है। अगले साल के लिए मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इसके पीछे की वजह बताते हुए राज्य  सरकार ने कहा है कि जिस समय गन्ने का मूल्य घोषित किया जाता है, अगले साल उस समय शायद आचार संहिता लगी होगी। इसलिए अगले साल के मूल्य भी अभी तय कर दिए गए हैं। इस साल राज्य में 424 लाख क्विंटल गन्ना पेराई का लक्ष्य रखा गया है।

पिछले पेराई सत्र (2022-23) के लिए 25 जनवरी को गन्ने का मूल्य बढ़ाया गया था। तब इसे 10 रुपये की वृद्धि के साथ 372 रुपये प्रति क्विंटल गया था। हालांकि, किसानों के प्रदर्शन के बाद ही राज्य सरकार ने यह बढ़ोतरी की थी। पिछले हफ्ते ही गन्ना नियंत्रण बोर्ड की बैठक में राज्य के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने इस बात के संकेत दिए थे कि जल्द ही गन्ने का मूल्य बढ़ाने की घोषणा हो सकती है। दलाल ने बताया था कि पेराई सत्र 2022-23 के दौरान गन्ना किसानों को 2,819 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जबकि चीनी मिलों ने 770.73 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की, जिसमें 9.70 फीसदी की चीनी रिकवरी हुई।

 

 

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