दालों की कीमतें नियंत्रित रखने के लिए उपभोक्ता मामले मंत्रालय सक्रिय, स्टॉक की निगरानी के साथ बैठकों का दौर

दालों की कीमतों और उपलब्धता को लेकर केंद्र सरकार का खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय काफी सक्रिय हो गया है। इसके लिए घरेलू उत्पादन की सरकारी खरीद में तेजी लाने, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध दालों के आयात की तैयारी और कीमतों की निगरानी के साथ देश में उपलब्ध दालों के स्टॉक की मानिटरिंग की जा रही है

दालों की कीमतें नियंत्रित रखने के लिए उपभोक्ता मामले मंत्रालय सक्रिय, स्टॉक की निगरानी के साथ बैठकों का दौर

दालों की कीमतों और उपलब्धता को लेकर केंद्र सरकार का खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय काफी सक्रिय हो गया है। इसके लिए घरेलू उत्पादन की सरकारी खरीद में तेजी लाने, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध दालों के आयात की तैयारी और कीमतों की निगरानी के साथ देश में उपलब्ध दालों के स्टॉक की मानिटरिंग की जा रही है। दाल मिल मालिकों और दाल कारोबारियों के साथ बैठकों का दौर भी शुरू कर दिया गया है। इसी कड़ी में शनिवार को इंदौर में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के दाल कारोबारियों और दाल मिल एसोसिएशन के साथ केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह, नेफेड के एडिशनल मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील कुमार सिंह, मध्य प्रदेश सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग अधिकारियों और अन्य संबंधित लोगों ने महत्वपूर्ण बैठक की। साथ ही मंत्रालय के अधिकारी देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर स्थिति का आकलन करने, उपलब्धता सुधारने व कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उद्योग और कारोबारियों के साथ सामंजस्य स्थापित कर रहे हैं।

रूरल वॉयस सूत्रों के मुताबिक चना, मूंग, मसूर, उड़द और अरहर (तूर) दाल की देश में तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपलब्धता और कीमतों को लेकर मंत्रालय में लगातार निगरानी तंत्र काम कर रहा है। वहीं नेफेड के जरिये प्राइस सपोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत चना की खरीद में तेजी लाने और मूंग व मसूर की खरीद पर काम किया जा रहा है। 

इसके साथ ही उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने दाल मिलों, स्टॉकिस्टों और आयातकों को स्टॉक की जानकारी सरकारी पोर्टल www.fcainfiweb.nic.in पर देने के लिए कहा गया है। इस जानकारी के जरिये मंत्रालय स्टॉक की निगरानी कर रहा है। उक्त सूत्र ने बताया कि देश में इस समय दालों की उपलब्धता उचित स्तर पर है और जरूरी मात्रा का आयात कर इसे बेहतर किया जाएगा। साथ ही इस बात की कोशिश होगी कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सक्रिय व्यापारी और घरेलू बाजार में गैर जरूरी तरीकों से व्यापारी कीमतों में बढ़ोतरी का फायदा न उठा सकें। 

शनिवार की बैठक के अलावा मंत्रालय के 12 अधिकारी देश की विभिन्न मंडियों में जाकर दाल कारोबारियों और दाल मिल संगठनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं ताकि उपलब्धता बेहतर रहे और कीमतों को नियंत्रित रखा जा सके। इंदौर की बैठक में कारोबारियों और दाल मिलों के संगठन के पदाधिकारियों की राय थी कि दालों का आयात केवल सरकारी एजेंसी के जरिए किया जाए ताकि आयातकों की लॉबी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाल लॉबी गैर जरूरी फायदा न उठा सके। उपभोक्ता मामले विभाग के आर्थिक सलाहकार डॉ. के गुइटे इस सिलसिलए में गुलबर्गा गये हैं।

उक्त सूत्र का कहना है कि अभी नेफेड के पास करीब 14.5 लाख टन चना उपलब्ध है। चालू सीजन में नेफेड अभी तक 9.5 लाख टन चना की खरीद कर चुकी है। खरीद में तेजी के चलते आने वाले दिनों में नेफेड के पास 30 लाख टन से अधिक चना की उपलब्धता रहेगी। जिसके जरिये चना दाल की बाजार में उपलब्धता बढ़ाकर कीमतों को नियंत्रित रखा जा सकेगा। वहीं मूंग की 60 दिन की ग्रीष्मकालीन फसल का मध्य प्रदेश और हरियाणा में करीब 10 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है। उक्त सूत्र का कहना है कि खरीफ मार्केटिंग सीजन (2022-23) के लिए मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7755 रुपये प्रति क्विटंल होने के चलते 60 दिन की फसल किसानों के लिए काफी आकर्षक है। वहीं रबी मार्केटिंग सीजन (2023-24) के लिए मसूर का एमएसपी पिछले साल के 5500 रुपये से बढ़ाकर 6000 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। चालू रबी मार्केटिंग सीजन में चना का एमएसपी 5335 रुपये प्रति क्विटंल है। अरहर और उड़द का एमएसपी 6600 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आयातित अरहर की कीमत 8500 से 8600 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रही है। आयातित उड़द की कीमत 7500 से 7600 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है।

उक्त सूत्र का कहना है कि मसूर के मामले में आयात पर कुछ निर्भरता है, हालांकि ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में बेहतर फसल की सूचना है। वहीं नेफेड ने अभी तक 15 हजार टन मसूर की खरीद की है जिसके डेढ़ से दो लाख टन पर पहुंचने की उम्मीद है। मसूर की आयात कीमत इस समय 62 से 63 रुपये प्रति किलो पड़ रही है। म्यांमार से उड़द और अरहर का आयात होता है। वहां इन दोनों दालों की फसल अच्छी है। हालांकि देश में अरहर की फसल पिछले साल के मुकाबले कुछ कमजोर है और उत्पादन करीब 36 लाख टन रहने का अनुमान है।

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