चीनी उत्पादन 329.60 लाख टन तक पहुंचा, अगामी साल में अल-नीनो से प्रभावित होगा उत्पादन

चालू चीनी सीजन (अक्तूबर 2022-सितंबर 2023) के दौरान 15 जून तक देश में चीनी उत्पादन 329.60 लाख टन पर पहुंचा है। पिछले साल इसी अवधि में देश में चीनी उत्पादन 354.20 लाख टन रहा था। जहां तक पूरे साल में उत्पादन की बात है तो इस साल इसके 333.20 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान उद्योग ने लगाया है जो पिछले साल 359.75 लाख टन रहा था। चीनी उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक, 15 जून, 2023 तक देश का चीनी उत्पादन पिछले साल की इसी अवधि के उत्पादन के मुकाबले 24.60 लाख टन कम रहा है। वहीं पूरे सीजन में पिछले साल के मुकाबले 26.55 लाख टन कम रहने का अनुमान है।

चीनी उत्पादन 329.60 लाख टन तक पहुंचा, अगामी साल में अल-नीनो से प्रभावित होगा उत्पादन
चालू चीनी वर्ष में उत्पादन 26.55 लाख टन घटने का है अनुमान।

चालू चीनी सीजन (अक्तूबर 2022-सितंबर 2023) के दौरान 15 जून तक देश में चीनी उत्पादन 329.60 लाख टन पर पहुंचा है। पिछले साल इसी अवधि में देश में चीनी उत्पादन 354.20 लाख टन रहा था। जहां तक पूरे साल में उत्पादन की बात है तो इस साल इसके 333.20 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान उद्योग ने लगाया है जो पिछले साल 359.75 लाख टन रहा था। चीनी उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक, 15 जून, 2023 तक देश का चीनी उत्पादन पिछले साल की इसी अवधि के उत्पादन के मुकाबले 24.60 लाख टन कम रहा है। वहीं पूरे सीजन में पिछले साल के मुकाबले 26.55 लाख टन कम रहने का अनुमान है।

इसके साथ ही आगामी चीनी सीजन 2023-24 में देश के सबसे बड़े दो चीनी उत्पादक राज्यों में से एक महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन गिर सकता है क्योंकि गन्ना उत्पादन पर अल-नीनो के चलते बारिश में कमी का प्रतिकूल असर पड़ सकता है। नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रकाश नायकनवरे ने हाल ही में पुणे स्थित वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट की गर्वनिंग काउंसिल की बैठक में एक प्रजेंटेशन के जरिये इसके संकेत दिए हैं।

अपने प्रजेंटेशन में नायकनवरे ने कहा कि अमेरिकी नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत के मानसून पैटर्न को लेकर चिंता जाहिर की है। इसके मुताबिक, पिछले तीन साल में ला-नीना के चलते बेहतर बारिश हुई है लेकिन अब अल-नीनो का प्रभाव आ गया है। पिछले 70 साल में अल-नीनो के चलते भारत को कई बार सूखा झेलने पड़ा है। उन्होंने बताया कि 2009 में अल-नीनो के चलते भारत में मानसून पर प्रतिकूल असर पड़ा था और देश में बारिश का स्तर 37 साल के निचले स्तर पर चला गया था। भारत में 70 फीसदी बारिश मानसून के दौरान होती है।  ज्यादातर फसलों के उत्पादन पर इसका सीधे असर पड़ता है।

चीनी उद्योग के बारे में उन्होंने कहा कि 2009 में भारत को चीनी आयात करना पड़ा था और उस समय चीनी की वैश्विक कीमतें बहुत ऊंची थी। अगर मानसून कमजोर रहता है तो अक्टूबर 2023 से पेराई के लिए आने वाली गन्ने की फसल कम बारिश के चलते प्रभावित हो सकती है। इस स्थिति में गन्ने के वजन और उसमें चीनी की रिकवरी पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इस समय रिजर्वायर्स में पानी का स्तर 30 फीसदी है। अगर बारिश कम होती है तो उस स्थिति में पानी के उपयोग को लेकर प्राथमिकता में भी बदलाव आ सकता है। उस स्थिति में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता प्रभावित होगी। नायकनवरे ने संकेत दिया है कि इस स्थिति में जहां चीनी मिलों को चलाने के लिए जरूरी कच्चे माल के रूप में गन्ने की कमी रह सकती है, वहीं चीनी के साथ एथेनॉल का उत्पादन करने वाली डिस्टीलरीज में भी उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

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केवल भारत में ही नहीं, ब्राजील और भारत के बाद चीनी के बड़े निर्यातक थाइलैंड में भी चीनी के उत्पादन में गिरावट की स्थिति बन गई है। जबकि वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों में लगातार तेजी जारी है। जहां तक चालू साल में चीनी उत्पादन की बात है तो अभी तक के कुल 329.60 लाख टन के उत्पादन में सबसे अधिक 105.40 लाख टन चीनी का उत्पादन उत्तर प्रदेश में हुआ है। जबकि महाराष्ट्र में इससे मामूली रूप से कम 105.30 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। पिछले साल महाराष्ट्र में 137.35 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। उत्तर प्रदेश में पिछले साल 102.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

कर्नाटक में इस साल 59.80 लाख चीनी उत्पादन हुआ है जो पिछले साल 59.20 लाख टन रहा था। तमिलनाडु में 12.50 लाख टन, गुजरात में 10.10 लाख टन, हरियाणा में 7.50 लाख टन और बिहार में 6.30 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ है। चीनी उत्पादन के साथ इस साल गन्ने में चीनी की रिकवरी भी कम रही है। पिछले साल चीनी रिकवरी का औसत 10.13 फीसदी था जो इस साल कम होकर 9.86 फीसदी रह गया है।

चालू चीनी वर्ष के अंत में 30 सितंबर, 2023 को चीनी का बकाया स्टॉक (क्लोजिंग स्टॉक) करीब 57.23 लाख टन पर रहने का अनुमान हो जो चार साल में सबसे कम है। पिछले साल क्लोजिंग स्टॉक 70.23 लाख टन रहा था। ऐसे में आने वाले साल में चीनी की निर्यात की संभावना तो कमजोर होगी ही,  एथेनॉल उत्पादन पर भी इसका असर पड़ सकता है क्योंकि सरकार नहीं चाहेगी कि चुनावी साल में चीनी की कीमतें बढ़े। इसके चलते एथेनॉल उत्पादन के लिए चीनी के डायवर्जन में कमी आ सकती है। इस साल भारत से 63 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया है जो पिछले साल 110 लाख टन रहा था। सरकार ने घरेलू उपलब्धता की स्थिति को देखते हुए चीनी के निर्यात के लिए अतिरिक्त कोटा जारी नहीं किया है जिसे निर्यात पर प्रतिबंध की तरह देखा जा रहा है।  

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